Shiv ki Mahan Ratri-Maha Shivratri Kyu Manaya Jati Hai? भारत में इसे सबसे ज्यादा क्यों महत्त्व दिया जाता है ? क्या है इसके पीछे कहानी ? ऐसे कई प्रश्न हमारे मन में उभरते है। आइये और इन सभी प्रश्नो का जवाब जानने में लिए पढ़ते है –
Shiv ki Mahan Ratri-Maha Shivratri Kyu Manaya Jati Hai?
“शिव की महान रात्रि” – महाशिवरात्रि का महत्व
सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर है।
देशभर में महाशिवरात्रि को एक महोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन देवों के देव महादेव का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था।
हमारे शास्त्रों में ऐसा कहा गया है की महाशिवरात्रि का वर्त करने वाले साधक (मनुष्यो ) को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Shiv ki Mahan Ratri-Maha Shivratri Kyu Manaya Jati Hai?
भारती पौराणिक कथाओं के अनुसार महा- शिवरात्रि के दिन मध्यरात्रि में भगवानशिवलिंग [प्रतीक] के रूप में प्रकट हुए थे।
पहली बार शिवलिंग की पूजा भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी द्वारा की गयी थी।
इसलिए -महाशिवरात्रि को भगवान शिव के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है और श्री दयालु शिवरात्रि के दिन शिव-लिंग की पूजा करते हैं।
शिवरात्रि का व्रत प्राचीन काल से प्रचलित है।
शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री ,सावित्री, सीता, पार्वती और रति ने भी शिवरात्रि का व्रत किया था।
महाशिवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है।
फाल्गुन श्री कृष्ण चतुर्थी को महा-शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है माना जाता है।
इसी दिन सृष्टि का प्रारम्भ हुआ था। इस दिन सृष्टि का आरंभ अग्निलिंक[ जो भगवान शिव का विशालकाय विशाल का स्वरूप था] के उद्देश्य से हुआ। इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। साल में होने वाले 12 शिवरात्रि में से महा-शिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
महा-शिवरात्रि से संबंधित कई कथाएं हैं-
१- समुंद्र मंथन
२- शिकारी कथा
Shiv ki Mahan Ratri-Maha Shivratri Kyu Manaya Jati Hai?
समुद्र – मंथन की कथा
समुंद्र मंथन अमर अमृत का उत्पादन करने के लिए निश्चित थी, लेकिन इसके साथ ही हलाहल विष (जहर) भी पैदा हुआ था। हलाहल विष में ब्राह्मण( सम्पूर्ण लोक) को नष्ट करने की क्षमता थी और केवल भगवान शिव ही इस विष नष्ट कर सकते थे।
भगवान शिव ने हलाहल विष को अपने कंठ ( गला )में रख लिया था। विष इतना शक्तिशाली था कि इसे पीने के बाद भगवान शिव बहुत कष्ट में थे और उनका कंठ नीला पड़ गया था। इसी कारण से भगवान शिव को (नीलकंठ) के नाम से भी जाना जाता है।
उपचार के लिए देवताओं ने बैध (चिकित्सक) को बुलाया। बैध ने भगवान शिव को रात भर जागने की सलाह दी।
इस प्रकार भगवान शिव को रात भर जागने के लिए देवताओं ने अलग-अलग नृत्य और संगीत का आयोजन किया। इस आयोजन से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन सभी को आशीर्वाद दिया।
शिवरात्रि की इस घटना का उत्सव है,जिसमें भगवान शिव ने पूरे संसार को हलाहल विष से बचाया।
Shiv ki Mahan Ratri-Maha Shivratri Kyu Manaya Jati Hai?
शिकारी कथा की कथा
एक बार पार्वती जी ने भगवान शिव से पूछा, ऐसा कौन- सा श्रेष्ठ और सरल व्रत है। जिससे मृत्यु लोक के प्राणी आपकी कृपा प्राप्त कर सकें ?
II ॐ हौं जूं सः
ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ II
इस श्लोक के माध्यम से मृत्यु -लोक के प्राणी भगवान शिव की सहज कृपा प्राप्त कर लेते हैं।
उत्तर में भगवान शिव ने माता पार्वती को एक कथा सुनाई।
एक बार चित्रभानु नामक शिकारी था।
चित्रभानु पशु की हत्या करके अपने कुटुम्ब [परिवार परिजन] को पालता था। वह एक साहूकार [महाजन या व्यापारी] का ऋणी था, लेकिन उसका ऋण समय पर ना चूका सका ।
क्रोधित साहूकार ने शिकारी चित्रभानु को शिवमठ [रहने का स्थान] में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी।
चित्रभानु ध्यानमग्न होकर शिव- संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा। संध्या होते ही चित्रभानु को साहूकार ने अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने को कहा।
चित्रभानु अगले दिन सारा ऋण [उधार] चुकाने का वादा करता है। तब साहूकार चित्रभानु को छोड़ देता है।
वह हर दिन की तरह जंगल में शिकार करने गया लेकिन दिन भर बंदी गृह में रहने के कारण भूख प्यास से व्याकुल था। शिकार करने के लिए वह एक तालाब के किनारे बल वृक्ष पर पड़ाव बनाने लगा।
बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग था जो विल्वपात्रों (बेलपात्रों) से ढका हुआ था। चित्रभानु को उसका पता ना चला।
पड़ाव बनाते समय उसने जो टहानियां तोड़ी वे सहयोग से शिवलिंग पर गिर गयी। इस प्रकार दिन भर भूख -प्यास से चित्रभानु का पृथ्वी व्रत भी पूरा हुआ और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चल गया।
श्लोक मंत्र –
मंत्र – Mantra
(ऊँ ह्रीं गौर्ये नम:)
‘हे गौरि ! शंकरार्धांगि ! यथा त्वं शंकरप्रिया ।
तथा मां कुरु कल्याणि कान्तकान्तां सुदुर्लभाम्।
अनुष्ठान सामग्री और उनके प्रतीक
शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि की पूजा में वस्तुएं का वस्तुओं का अवश्य शामिल करना चाहिए (दूध, शहद, बेलपत्र, यान, फल, सिंदूर)
शिवलिंग का पानी, दूध और शहद के साथ अभिषेक और बेर या बेलपत्र जो आत्मा की शुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। सिंदूर का पेस्ट स्नान या अभिषेक के बाद शिवलिंग को लगाया जाता है। यह पुष्य का प्रतिनिधित्व करता है।
फल जो दीर्घयु और इच्छाओं की संतुष्टि को दर्शाते है। जलती धूप,धन और आनाज, दीपक जो ज्ञान प्राप्ति के लिए अनुकूल है।
पान के पत्ते जो सांसारिक सुखों के साथ संतोष अंकन करते हैं।
उम्मीद करती हूँ कि Shiv ki Mahan Ratri-Maha Shivratri Kyu Manaya Jati Hai? पर ये मेरा लेख आपको जरूर पसंद आया होगा। अपनी सलाह नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर लिखे।
Priya Gupta (Assistant Teacher)
HUMAN SPIRITS
Amari, Koilsa, Azamgarh,
Uttar Pradesh.
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